Fundamental Analysis in Hindi | फंडामेंटल एनालिसिस

अगर आप शेअर मार्केट मे लॉन्ग टर्म के लिया निवेश करना चाहते है तो आपको Fundamental Analysis जाना ज़रूरी चाहिए। जिससे आप एक बेहतरीन स्टॉक सेलेक्ट कर सकते हैं। चलिए आर्टिकल के द्वारा बताते हैं कि किस तरह से फंडामेंटल एनालिसिस करके स्टॉक सिलेक्शन करते है, इसके बारे मे विस्तार से चर्चा करते हैं।

Fundamental Analysis in Hindi

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis) :

किसी भी शेअर्स का स्वाथ्य जानने के लिएFundamental analysis उपयोगी होता है। कौनसे शेअर्स स्वस्थ है और कौन से शेअर्स कचरा है। इसका फर्क देखने  लिए वह उपयोगी होता है। इसलिए उसे नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता।

पर बात बाज़ार की चाल की होती है तब तेजी में चाहे जितना कचरा लगनेवाले शेअर्स चल सकते है। साथ ही मंदी में अच्छे शेअर्स भी टुटते हुए दिखाई देते हैं। इसलिए टेक्नीकल एनालिसिस में आपको ‘कैसे’ से ‘क्या करे’ पर अधिक जोर देना चाहिए।

इसलिए ही आपने देखा है उस तरह से इस अध्याय में फंडामेन्टल एनालिसिस पर हमने विस्तार से चर्चा नहीं की।

जिन्हें जरूरी लगता है उन्होने पहले Fundamental analysis पर से कंपनी की कामयाबी और मुनाफे की क्षमता की जाँच करनी चाहिए और फिर एक बार निवेश करने के बाद आपका ध्यान किसी भी शेअर्स में तेजी की दिशा का ट्रेन्ड स्थापित हुआ है या नहीं इस पर ही अधिक होना चाहिए। शुरूआत की जाँच बाद भाव कैसे बढ़ रहा है इसकी फिर से जाँच करने की मुझे जरूरत नहीं लगती।

तेजी की दिशा के ट्रेन्ड के कारण अगर बाज़ार के परिबल आपको बताते है कि कंपनी की कामयाबी या किसी कारण के बगैर ही भाव बढ़ता हो तो फिर जब तक Trailing Stop loss के तरीके से जब तक नुकसान टीक समय पर काटने के प्रकार की व्यवस्था आपकी इच्छा अनुसार  होती है तब तक आपको चिंता करने का कोई भी कारण नहीं होता।

यह बात समझना जरूरी है। प्रत्येक परिस्थिति में यह बात महत्व की है कि आपको किसी की तो सलाह लेनी चाहिए। अब अगर बाज़ार संयुक्त रूप से आपको चार्ट के ट्रेन्ड के अनुसार कुछ बताता हो तो व्यक्तिगत राय लेने के लिए आपको भटकने की आवश्यकता नहीं होती। ऐसा होने पर भी उस परिस्थिति में किसी की भी राय अलग अलग हो सकती है। जो आपको अधिक विचलीत करती है। इसलिए चार्ट पर जो ट्रेन्ड स्थापित होता है। सिर्फ उसी पर लक्ष्य केंद्रित करना चाहिए। साथ ही चार्ट क्या बता रहा है। उस पर अमल किया तो ठिक समय पर सही निर्णय लेने से आप कभी भी नहीं चुकते।

भाव बढ़ता हो और बाज़ार में चर्चा शुरू हो तो ऐसे भाव बढ़ानेवाली सभी चर्चाओं में हिस्सा लेना बेकार होता है और जो लोग ऐसे ट्रेन्ड के विरूद्ध राय बनाते है उनका सिस्टम और विचार करने का तरीका भी गलत है। ऐसा कहा जा सकता है।

दुसरी बहुत ही महत्व की बात यह है कि जब मंदी की शुरूआत होती है तब सभी कंपनियों की कार्यक्षमता रातोरात नहीं घटती हैं इसलिए अच्छे शेअर्स के भाव में भी गिरावट दिखाई देती है।Fundamental analysis की दृष्टी से चाहे जितने अच्छे शेअर्स हो पर सिर्फ Fundamental analysis की गिनती से किसी भी शेअर्स को अलग देखा जाए तो मंदी में आनेवाली गिरावट में शेअर्स का भाव गिरता है और आप खदे खदे अविश्वास से देखते ही रहते है। अब आपको चाहे जो लगे, बाज़ार चाहे जो बोले पर ऐसे शेअर्स का भाव भी घटता ही है ना?

ज्यादातर लोगों की स्थिति ऐसी होती है। इस से बचने के लिए कुछ करना हो तो चार्ट की मदद लेनी ही पड़ती है। मंदी की शुरूआत होने पर चार्ट पर उसका परिणाम दिखाई देता है और ठिक समय पर बिक्री करने का संकेत मिलता है। ऐसे वक्त बाज़ार में लोग क्या कहते है इस पर नहीं आप चार्ट क्या कहता है उस पर लक्ष्य केंद्रित करना पड़ता है। ऐसा करने वाले लोग तेजी और मंदी दोनों में अधिकतम फायदा ले सकते है। तगडे शेअर्स ने भी किसी महत्व के स्तर को तोड़ा तो वह कैसे टुटा और वह टुटना नहीं चाहिए था इस विचार में समय गवाने के बदले तुरंत वह शेअर्स बेच दीजिए और मंदी आगे बढ़ती है तब उन्ही शेअर्स को बॉटम के नज़दीक घुमने पर फिर से उसके बहुत ही निचले भाव से पकड़ने का मौका मिलता है।

दुसरा उदाहरण देता हूँ। आपने बगीचे में घास लगाई और वह ऊगी तो आप सिर्फ यह देख सकते है कि वह कितनी ऊगी है। आप वह कितनी ज्यादा ऊगी है, मौसम कैसा था, इसके लिए कितनी खाद डाली आदि संशोधन करते नहीं बैठते और अगर ऐसा संशोधन आपको कहता हो की घास इतनी नहीं ऊगनी चाहिए थी। तो आप घास काटना बंद करेंगे क्या? इसका अर्थ ऐसा होता है कि आपके संशोधन में कई खामियां है। ऐसे संभ्रम में पड़ने के बदले आपको एक सिधे साधे अमल करना चाहिए जो परिणाम पर लक्ष्य केंद्रित करेगी और ठिक समय पर जरूरी कदम उठा सके। अब जिन्हें शुरूआत की जाँच करनी है वह नीचे दर्शाए फंडामेन्टल परिबलों की जाँच करके आगे बढ़ सकते हैं l

ई.पी.एस.( EPS) :

आपको जो शेअर्स लेने है उनका EPS बढ़ता हुआ होना चाहिए यह जरूरी है। इसे Earning पर शेअर’ कहा जाता है। ई.पी.एस. बढ़ते हुए शेअर्स का भाव आने वाली कालावधी में अच्छी वृद्धी दर्शाती है। इस प्रकार की जानकारी आपको www.bseindia.com इस वेबसाईट पर मिल सकती है। दूसरी भी कई साईट उपलब्ध है।

मार्केट कॅपिलाइटिंगकरण। (Market capitalization) :

मार्केट कॅपिटलायजेशन भी महत्व का कार्य निभाता है। बहुत ज्यादा बढ़े हुए मार्केट में कॅपिटलायजेशन वाली कंपनियों में मुनाफा शक्ती को 30% से भी ज्यादा कायम रखना बहुत ही कठिण होता है। ऐसे परिस्थिति में भाव की बढ़ोतरी को काट दिया जा सकता है। कम मार्केट कॅपिटलायजेशन वाले कंपनियों में भी बढ़ोतरी की संभावना जल्दी ही होती है। इसका ऐसा अर्थ नहीं कि ज्यादा मार्केट कॅपिटलायजेशन वाली कंपनियों में बढ़ोतरी दिखाई नहीं देती पर दोनों की तुलना में कम मार्केट कैप वाले शेअर्स में अगर ई.पी.एस. मजबूत हुआ तो उसके शेअर्स का भाव अधिक शिघ्रता से बढ़ सकता है।

शेअर्स का भाव : हमेशा गुणवत्ता पर जोर दीजिए, संख्या पर नही :

अब आपका प्रयत्न ऐसे शेअर्स खरीदने का होना चाहिए जो नकद शेअर्स हो। ज्यादातर ऐसे शेअर्स 10 रूपयों के नीचे और उसके आजूबाजू के में ट्रेड होते हुए दिखाई देते है। इसलिए ऐसे शेअर्स से आपको दूर रहने के लिए कहा जाता है। जरूरी नहीं की 10 रूपयों के नीचे वाले सभी शेअर्स खराब होते हैं। ऐसे शेअर्स में अफरातफरी का प्रमाण भी अधिक होता है। 30 से 40, ज्यादातर 100 रूपयों के नीचे वाले शेअर्स में बढ़ोतरी की संभावना अधिक होती है। इसलिए चार्ट का पहले अध्ययन करे। बाद में ही आगे जाना चाहिए। सस्ता लेने की दृष्टी से नहीं पर किसी भी भाव का वृद्धी दर कितना है इस दृष्टी से अभ्यास करके निवेश करना चाहिए। अच्छी गुणवत्ता वाले शेअर्स खरीदने पर ज्यादा जोर दीजिए। फिर वह 20 रूपयों में मिले या 2000 रूपयों में मिले। संख्या की दृष्टी से नहीं पर गुणवत्ता की दृष्टी से ही निवेश पर अधिक जोर देना चाहिए।

गुणवत्ता के लिए प्रीमियम का भाव देना ही पड़ता है। ऐसा भाव देने की तैयारी से ही बाज़ार में उतरना चाहिए। मंदी में तगडे शेअर्स बहुत ही निचले भाव से मिलते है यह बात अलग है। बाकी तेजी में अच्छे शेअर्स खरीदने के लिए ज्यादा भाव भी देने की तैयारी होनी चाहिए।

तेजी में तुरंत फायदा लेना हो तो ऐसा करना चाहिए कि जैसे आपको एक जगहपर तुरंत पहुँचना हो तो हवाई जहाज में बैठकर जासकते हैं। हवाई जहाज का टिकट ज्यादा होता है जो दुसरे विकल्पों की तुलना में अधिक लगता है। पर आप तेजी में पैसे कमाने के लिए बैलगाड़ी में बैठे तो संपूर्ण तेजी खत्म होने पर भी आप कहा तक पहुँच सकते है? इस पर विचार कीजिए।

यह भी पढ़ें : DIVIDEND क्या होता है | DIVIDEND MEANING IN HINDI

कम काला का टाईमिंग (Short Timing) :

लोग कम कालावधी का टाईमिंग करने में कई बार बहुत ही लीन होते हुए दिखाई देते है। इस कारण से उनके निर्णय में कमी दिखाई देती है। वह कम कालावधी के सूचक या फिर दिर्घ कालावधी के चित्र को वह भूल जाते है। जिन्हें अनुकूल लगता है उन्होने कम कालावधी का टाईमिंग सिखना जरूरी है। पर इनमें से सबसे महत्वपूर्ण बात को नज़र अंदाज़ नहीं कर सकते वह है कि दिर्घ कालावधी का परिणाम |

आपको ऐसे शेअर्स खरीदने का प्रयास करना चाहिए :

जो सुधार की दिशा के हो और अगर वह बहुत ही सुधारे हुए दिखते हो तो, इस कारण से यह शेअर्स दूसरे शेअर्स की तुलना में 10 गुना अधिक सुधार की क्षमता वाले होते है। आप ऐसी व्युहरचना का उपयोग कर सकते है जिस में सुधार हुए शेअर्स जमा किए जा सकते है और एक संकुचित दृष्टी कोन से शेअर्स बहुत खिंचे जाते है या फिर दबाए जाते है। इस बात की चिंता नहीं करनी पड़ती।

जब शेअर्स खरीदोंगे तब इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए :

श्रेष्ट शेअर्स ही आपके पोर्टफोलीओ में सामिल कीजिए जिनमें चार्ट के आधार पर आपको जानकारी मिलती है कि सुधार की दिशा का ट्रेन्ड शुरू हुई है।

डायवर्सिफाईड कीजिए : 

  • 2 से 4 विविध क्षेत्र की कंपनियों के शेअर्स में निवेश कीजिए।
  • जो आक्रमक निवेश का तरीका पसंद करते है उन्होने इस डिफेन्सिव्ह शेअर्स से दूर रहना चाहिए।
  • गुणवत्ता के लिए किमत देने से बचा नहीं जा सकता 

अपने क्या सीखा :

  • स्टॉक सलेक्शन के लिऐ फंडामेंटल एनालिसिस कितना ज़रूरी है, अपने सिख गया होगा।
  • शेअर्स का भाव हमेशा गुणवत्ता पर जोर दीजिए संख्या पर नही। 

निष्कर्ष :

अगर आप शेअर मार्केट मे लॉन्ग टर्म के लिया निवेश करना चाहते है तो आपको फंडामेंटल एनालिसिस जाना ज़रूरी चाहिए। जिससे आप एक बेहतरीन स्टॉक सेलेक्ट कर सकते हैं। अगर आर्टिकल पसंद आए तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले ।

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