शेयर मार्केट में Stop Loss का महत्व यह है कि कि आप अपने रिक्स के अनुसार शेयर मार्केट में एग्जिट का प्लान बना सकते हैं,और नुकसान आपके प्लान अनुसार होता है चलिए अब हम स्टॉपलॉस के बारे मे विस्तार से चर्चा करते हैं ।
स्टॉप लॉस का महत्व – Stop Loss Theory :
स्टॉक मार्केट जब कोई निवेश करते है या फिर ट्रेडिंग की कोई पोजिशन लेते हैं। वह आप मुनाफा मिलने की अपेक्षा से ही लेते है। पर कई बार अपनी अपेक्षा के विरूद्ध परिस्थिति निर्माण होने पर ठिक समय पर उसमें से जैसे के तैसे बाहर निकलने को आना चाहिए। एसी स्तिथि में Stop Loss बहुत ही महत्व का कार्य करता है।
साधारणरूप से ज्यादातर लोग खरीदी या बिक्री का ट्रेडिंग पोजिशन लेने के बाद Stop Loss लगाया जा सकता है ऐसा मानते है पर सही माहौल में बहुत ही कम लोग सुदृढ़ता से इसका पालन करते दिखाई देते है। जब बाज़ार अचानक घटता है तब घटने वाले भाव में ज्यादातर लोगों की बुद्धी भ्रष्ट होते हुए दिखाई देती है और भाव बहुत ही ज्यादा घटने पर भी वह देखते ही रहते हैं। इस कारण उन्हे बहुत बड़ा नुकसान होते हुए दिखाई देता है।
स्टॉप लॉस के प्रकार – Types of Stop Loss :
1. Primary Stop loss : यह आपके खरीदी भाव से निचला स्तर होता है।
2. Trailing Stop loss : यह आपके खरीदी भाव से ऊंचा स्तर होता है।
प्राईमरी स्टॉपलॉस – Primary Stop loss :
- जो आपके पहले खरीदी भाव से निचला स्तर होता हैं।
- अब आप समझ लीजिए की आपको स्टॉपलॉस का स्तर कब रखना चाहिए। यह एक प्रतिशत की दृष्टी से निचला कोई भी एक स्तर हो सकता है। जो 10%, बहुत ही कम कालावधी के स्विंग ट्रेडिंग के लिए और 25%, मध्यम कालावधी के निवेश की दृष्टी से स्थापित किया जा सकता है।
- मैं Active तरीके को अधिक पसंद करता हूँ। जिसमें स्टॉपलॉस का स्तर किसी भी समय के Average के सपोर्ट के आधार पर तय किया जाता है। अगर यह सपोर्ट टुटा तो शेअर्स में से बाहर निकलना पड़ता है।
- यह स्तर कम कालावधी के लिए 21 दिनों का ऐवरेज हो सकता है और मध्यम कालावधी के लिए 50 दिनों का अवरेज भी हो सकता है।
- आप जिस टाईम फ्रेम के अनुसार जा रहे है उसी तरह से स्टॉपलॉस का स्तर स्थापित करके उसका चुस्तरूप से अनुकरण करना चाहिए। जहा पर पॅनीक के समय या फिर मंदी की शुरूआत होने के बाद महत्व का स्तर टुटता है तब आप डिसिझन पॅरॅलिसिस का अनुभव कर सकते है।
ट्रेलिंग स्टॉपलॉस – Trailing Stop loss :
- इस प्रकार का स्टॉपलॉस आपके मुनाफे की एक रकम जमाकर रखने में मदद करता है।
- अगर आपको 75% मुनाफा होता हो तो आपको ट्रेलिंग स्टॉपलॉस इतना रखना चाहिए कि जहाँ पर आप उसमें से ज्यादातर मुनाफा अपने पास जमाकर रख सकते हैं। जरूरी नहीं की आप हमेशा संपूर्ण 75% जमाकर रखे। पर आप टेलिंग स्टॉप के आधार पर ज्यादा नहीं पर उसमें से तो जरूर जमाकर रख सकते हैं। 50%
- ऐसा करके कभी भी ज्यादा से ज्यादा फायदा कमाने में आप सफल हो सकते हैं।
- कई लोग ट्रेलिंग स्टॉप के तरीके का उपयोग नहीं करते फिर भी वह ज्यादा खराब, वह प्राईमरी स्टॉपलॉस भी नहीं लगाते और कईबार वह फायदे में से नुकसन में आए हुए नज़र आते है।
- ट्रेलिंग स्टॉप इस बात की हामी देता है कि जिस शेअर्स में आपने मुनाफा कमाया है उस शेअर्स में आप हमेशा फायदे के साथ ही बाहर निकलोंगे।
लोग कैसे उनके ट्रेडिंग और निवेश के तरीके में स्टॉपलॉस का उपयोग न करने की भूल करते हैं
कई लोगों को पता है कि Stop loss लगाना चाहिए फिर भी वह ऐसा क्यो नहीं करते यह प्रश्न संशोधन करने जैसा हैं। मेरा अनुभव ऐसा कहता है की कई बार बाज़ार में आने वाले अचानक पेनीक के कारण । Stop loss अनुभव ऐसा कहता है ट्रिगर होने के बाद भाव में फिर से सुधार होता है और ट्रेडर को पश्चाताप होता है। पर समझने वाली बात यह है कि इस तरह से स्टॉपलॉस ट्रिगर होने के बाद भाव 10 में से 1 या 2 बार फिर से सुधर सकता है। पर 8 बार तो भाव घटते ही रहता है और इसलिए उस से बचाव करने के लिए स्टॉप लॉस सही तरीके से लगाना चाहिए ।
लोगों को स्वयं की मानसिक अवस्था को भी जान लेना चाहिए। ली हुई पोजिशन में भाव घटने पर जैसे कि हर एक स्तर पर भाव फिर से थोड़ा तो सुधरेगा ऐसी अपेक्षा से पोजिशन होल्ड करके रखी जाती है और स्टॉपलॉस नहीं लगाते। परंतु ज्यादातर विषय में भाव अपेक्षा के अनुसार नहीं बढ़ता और ज्यादा से ज्यादा घटता जाता है। इस कारण से ट्रेडर के भीतर का डर बढ़ते जाता है। ऐसी स्थिति में निर्णय शक्ती कमजोर होती हैं। इसलिए ऐसी परिस्थिति में अटकने से पहले सही निर्णय लेना जरूरी है। सही समय पर स्टॉपलॉस लगाने से आप का कुछ भी नहीं बिगड़ता। परंतु स्टॉपलॉस न लगाने से और खास करके फ्युचर के विषय में स्टॉपलॉस न लगाने से घर बार बेचना ना पड़े जेसी घटनाओं का अंत नहीं है। यह एक दुःखद सत्य है।
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स्टॉपलॉस लगाने के फायदे – Advantages of Stop loss :
- स्टॉपलॉस नहीं लगाया तो आवश्यक समय पर अपनी गाड़ी को ब्रेक ना लगाने के समान है। आपको पता है कि ऐसा न करने से बड़े संकट का सामना हो सकता है। उसी तरह से समय के अनुसार स्टॉपलॉस ना लगाने से आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।
- स्टॉपलॉस एक पॅराशुट की तरह कार्य करता है। आप ग्लाईडिंग करने के लिए ऊंचाई से कूदने के बाद जरूरी हो तब सही समय पर पॅराशुट नहीं खुला तो? ज्यादा समयतक राह देखते रहे तो जमीन पर गिरकर जान गँवाने की नौबत आ सकती है। इसलिए सही समय पर पॅराशुट खोलना जैसे जरूरी है उसी तरह से ठिक समय पर स्टॉपलॉस लगाना जरूरी है।
स्टॉपलॉस ना लगाने का परिणाम :
- घटते शेअर्स में स्टॉपलॉस के बिना खड़े रहना याने डुबती हुई नाव में सवार होने जैसा है। ठिक समय पर स्टॉपलॉस के लाईफबोट या फिर रिंग की मदद से डुबती हुई नाव में से बाहर कूदने में ही होशियारी है। स्टॉपलॉस विपरीत परिस्थिति में आपको लाईफबोट की तरह काम आता है जिसका सही समय पर उपयोग करने से आप डुबने से बच सकते है।
- समय के अनुसार स्टॉपलॉस न लगाने से आपकी मेहनत की कमाई आपकी आँखों के सामने नष्ट होने में समय नहीं लगता।
उदाहरण :
आप एक टंकी में बरसात का पानी भरने के लिए उसका ढक्कन निकालकर वह खुली जगह में रख दीजिए। एक स्तर पर उस टंकी में छेद हुआ और भरा हुआ पानी नीचे बहने लगा तो आप क्या करोगे? आप तुरंत वह छेद बंद करने का प्रयास करते हो जिससे उसमें जमा हुए पानी को बचाया जा सके। पर ज्यादातर लोग शेअर बाज़ार के विषय में ऐसा नहीं करते। वह देखते हैं कि शेअर्स का भाव घट रहा है, जो टंकी के छेद के समान है। ऐसे वक्त वह बैठकर देखते रहते हैं और टंकी खाली हो जाती हैं। अर्थात शेअर्स में मिला हुआ मुनाफा उनके हाथ से निकल जाता है। ऐसा करने में समझदारी है क्या? समझने की बात यह है कि पहले जितने प्रमाण में बारीश हुई उतने ही प्रमाण में वह फिर से होगी इसका कोई भरोसा नहीं है।
फिर से आपकी टंकी कितनी भरेगी और उसमें कितना समय लगेगा वह भी आप नहीं बता सकते। इसलिए जमा हुआ पानी बहकर नहीं जाएगा इसकी खबरदारी लेनी चाहिए। उसी तरह से किसी शेअर्स के भाव में आया हुआ सुधार, एक बार तेजी खत्म होने पर वह फिर से कब आएगी यह बताना मुश्किल हैं। फिर से सुधार दिखाई दिया तो वह भूतकाल की तरह ही होगा। ऐसा कहा नहीं जा सकता। इसलिए किसी भी समय आपको मिला हुआ ज्यादा से ज्यादा मुनाफा जमाकर रखना जरूरी होता है। एक साधारण विचार की बात है कि जीवन में ऐसे क्षणों का लोग अनुकरण करते हुए दिखाई देते हैं।
परंतु बात जब शेअर बाज़ार की होती है तब लोग स्वयं की सामान्य बुद्धी कैसे गँवा देते है यह एक आश्चर्य की बात है।
तो फिर क्या करना चाहिए? पहले स्वयं की सामान्य बुद्धी का उपयोग कीजिए :
- स्वयं के जीवन में लोग सुरक्षा के नियमों का पालन तो करते है परंतु बात जब शेअर बाज़ार की होती है तब स्वयं की सुरक्षा की चिंता नहीं करते यह आश्चर्य की बात हैं।
- कई ऑपरेटर और ट्रेडर इस दुर्बलता को जानते है और उसका फायदा लेते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है ?
- आप खुली छाती से, किसी भी शस्त्र के बिना, जंगल में निकलते हैं और किसी का शिकार बनते हैं तब उसमें आपका स्वयं का दोष होता है।
- इसके लिए दुसरो को दोष देने के बजाए आपको स्वयं ही आपके धन की सुरक्षा के लिए सक्षम बनना चाहिए।
- लोग स्टॉपलॉस को स्वयं की दुर्बलता का प्रमाण मानकर उसका अनुकरण नहीं करते और ऐसा करने से आप कितने हिंमतवाले है ऐसा वह दिखाने का प्रयास करते है। परंतु ऐसा करना मुर्खता है। चाहे जितने अच्छे शेअर्स में भी किसी कारणवश घट हुआ तो तुरंत उसमें से बाहर निकलना समझदारी मानी जाती है। ध्यान में रखिए की बाज़ार और किसी कंपनी के शेअर्स किसी के सगे संबंधी नहीं होते। इसलिए लालच को दूर रखकर काम करने वाले ही इस बाज़ार में जीत सकते है।
- जो स्टॉपलॉस और ट्रेलींग स्टॉपलॉस के शस्त्रों को स्वयं के पास रखकर उनका सही समय पर उपयोग करते हैं, उन्हे शेअर बाज़ार में कोई भी मात नहीं दे सकता और उनकी पूँजी लगातार बढ़ते ही जाती है।
मूल बात :
स्टॉक मार्केट का सबसे बड़ा नियम यह है कि यदि आप स्टॉपलॉस का प्रयोग शेयर मार्केट में नहीं करेंगे तो आप लंबे समय तक मार्केट मे नही टिक पाएंगे और आपको काफी बड़ा नुकसान होगा।स्टॉपलॉस लॉस का मतलब अपने रिक्स को अपने अनुसार कन्ट्रोल करना।