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नौसिखियों के लिए टेक्निकल एनालिसिस का आधार

अगर आप स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट के बारे में सब कुछ हिंदी में सीखना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। आज इस पोस्ट को पढ़ने के बाद basics of technical analysis se जुड़े आपके हर सवाल का जवाब मिल जाएगा और अगर आप शेअर मार्केट या शेअर मार्केट में बिल्कुल नये भी हैं तो भी आप इसे अच्छे से समझ जाएंगे। टेक्निकल एनालिसिस का आधार कैसे काम करता है,टेक्निकल एनालिसिस क्या है।

सप्लाई और डिमांड (Supply and Demand) :

भाव के बीच का फर्क सप्लाई और डिमांड के कारण होता है जिसके आधार पर चार्ट बनाए जाते हैं जो टेक्निकल एनालिसिस का आधार होते हैं ,अगर सप्लाई से डिमांड अधिक हो तो भाव बढ़ता है और डिमांड से सप्लाई अधिक

Supply and Demand

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प्राइस ट्रेंड (Price Trend) :

भाव पर से चार्ट का निर्माण करने का मूल हेतु स्थापित होने वाले ट्रेड की शुरुआत में ही पहचानना होता है। जहां से ट्रेड जिस दिशा में स्थापित होता है उस तरह से ट्रेडिंग का अथवा निवेश का निर्णय लिया जा सकता है लोगों के मनोवैज्ञानिक अभ्यास से चार्ट पर समय अनुसार तैयार होनेवाले किसी भी रचना को पहचानने के लिए होता है ज्यादातर जब ऐसी रचनाओं का निर्माण होता है तब उनके अनुसार पुनरावर्तन हुआ दिखाई देता है जिसका फायदा लेना चाहिए।

चार्ट पर भाव किसी भी समय के संदर्भ में टॉप और बॉटम की स्थिति तैयार करता है अगर तेजी हो तो ऊंचा बॉटम और अधिक ऊंचा टॉप  तैयार होता है। अगर मंदी हो तो नीचला टॉप और अधिक निचला बॉटम तैयार होता है बाजार अब साइडवेज होता है तब समतल रेंज में टॉप और बॉटम तैयार होते हैं और ट्रेंड का अभाव होता है जब तेजी स्थापित होती है तब सप्लाई से डिमांड अधिक होती है और भाव अधिक बढ़ता है।

Uptrend
Downtrend
Sideways Trend

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जब मंदी स्थापित होती है तब डिमांड से सप्लाई अधिक होता है और भाव अधिक गिरता है साइडवेस बाजार में डिमांड और सप्लाई इनके बीच समतल होता है ट्रेंड की दिशा के साथ ट्रेंड को अधिक तीन विभाग में विभाजित किया जा सकता है  मुख्य दीर्घ कालावधि का ट्रेंड मध्य कालावधि का ट्रेंड और कम कालावधि का ट्रेंड।

उदाहरण के रूप में फ्यूचर ट्रेडर ज्यादातर कम कालावधि के दृष्टिकोण से पोजीशन लेते हुए नजर आते हैं क्योंकि फ्यूचर हर महीने को एक्सपायर होता है जहां शेअर के विषय में ऐसा नहीं होता है।

मुख्य  कालावधि का ट्रेंड किसी एक कालावधि तक स्थापित होता है मध्य कालावधि के ट्रेंड की स्थापना मुख ट्रेंड के बीच में होता है और कम कालावधी का ट्रेंड मध्य कालावधि के ट्रेंड के बीच में तैयार होता है जिसकी मदद से हम खरीदी और बिक्री के संकेत प्राप्त कर सकते हैं उदाहरण के रूप में मध्य कालावधि का ट्रेंड ऊपर हो है और कम कालावधि का ट्रेंड नीचे हो तो आपको कम भाव से खरीदी की सूचना मिलती है उसी तरह से मध्य काल अवधि की ट्रेंड नीचे हो और कम कालावधी का ट्रेंड ऊपर हो तो आपको अधिक भाव से बिक्री की सूचना मिलती है।

कई बार ट्रेंड स्थापित है यह निश्चित करने के लिए तेजी के विषय में दो लोग तैयार होने चाहिए। जिसमे दुसरा लोग पहले लोग से ऊपर स्थापित होता है और मंदी में दूसरे लोग पहले लोग से नीचे तैयार होते नजर आता है।

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सपोर्ट और रेजिस्टेंस ( Support and Resistance) : 

रेजिस्टेंस (रेजिस्टेंस) :

Support Resistance

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वॉल्यूम (volume) :

नोट (Note):

ऐसा कहा जाता है कि अच्छा वॉल्यूम वाले शेयर ही खरीदने चाहिए क्योंकि ऐसे शेयर में प्रवाहित अधिक होता है कम वॉल्यूम वाले शेयर खरीदने में जोखिम होता है क्योंकि शेयर का वॉल्यूम एकदम सूख जाने का डर होता है।

 ट्रेंड रेवसल  (Trend Reversal) :

अगर किसी शेयर में तेजी का ट्रेंड स्थापित हुआ है और अगर करेक्शन के दरमियान व गिरकर पहले वाले एक लो भाव के नजदीक आए तो ऐसा समझना चाहिए कि आपको पूर्व संकेत मिल रहा है कि अब ट्रेंड रिवर्सल संभव हैं या फिर भाव अब तेजी में से साइडवेज़ हो सकता है अगर स्थापित सपोर्ट टूटा तो ट्ट्रेंड रिवर्सल हो सकता है उसी तरह से तेजी की बढ़ोतरी पहले वाले टॉप के भाव को पार करने में असफल हुई तो भी समझना चाहिए कि ट्रेंड अब बदल सकता है।

डायवर्जेंस ( Divergence):

शेअर का भाव जब कोई दिशा पकड़कर आगे बढ़ता है या गिरता है तब एक का स्तर ऐसा आता है जहां पर भाव बढ़ता है परंतु उसके साथ ही शेयर का भाव अधिक गिरता है और किसी सूचक के स्तर में गिरावट न होकर सुधरता है तब शेयर का भाव और उसके सूचक के दरमियान डायवर्जन आया ऐसा कहा जा सकता है।

Divergence

इसमें सकारात्मक या नकारात्मक डायवर्जन को जांच कर शेयर के भाव में जल्द ही काम कालावधि में आने वाले बढ़ोतरी और गिरावट का संकेत हासिल किया जा सकता है।

 Whipsaw:

ऐसा कई बार नजर आता है कि सभी टेक्निकल संकेत मिलने के बाद जल्द ही उसके विपरीत चाल नजर आती है ऐसा होता है तब विपशाव हुआ ऐसा कहा जाता है ।समझने की बात तो यह है कि लोग चार्ट देखते हैं पर उसके आधार पर संकेत मिलते ही कन्फर्मेशन मिलने के बिना ही खुद जाते हैं ऐसे लोग कई बार फस जाते हैं ऐसा नहीं हो इसलिए आपको संकेत मिलने के बाद कंफर्मेशन पर आधार रखना चाहिए अर्थात सपोर्ट या अवरोध अथवा ब्रेकआउट आने के बाद बाद स्थापित होने की राह देखनी पड़े तो भले थोड़े रुपए अधिक देकर शेयर खरीदने या थोड़े कम भाव से बेचने पड़े पर उसमें फंसने की संभावना नहीं के बराबर होता है।

रिस्पेक्ट (Respect) :

जब भाव किसी स्थापित एवरेज पर या किसी ट्रेंड लाइन पर सपोर्ट या अवरोध बनाता है तब आप ऐसा कह सकते हैं कि भाव ने इस स्तर का आदर्श रिस्पेक्ट किया एक महत्वपूर्ण घटना समझी जा सकती है क्योंकि आपको संकेत मिलता है की भाव ट्रेंड कर रहा है।  

Respect Price

निष्कर्ष : 

मैं आशा करता हूं कि आपको टेक्निकल एनालिसिस का आधार और शेयर बाजार में कैसे काम करता है। आपको समझ आ गया होगा । पूरी जानकारी हिंदी में है ,पोस्ट पसंद आई होगी। और आपको शेयर बाजार  के बारे में काफी चीजें पता चल गई होगी.

अगर आप शेयर मार्केट को आसान भाषा हिंदी में सीखना चाहते हैं तो इस blog की और भी पोस्ट पढ़ सकते हैं। अगर आपका कोई सवाल है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

स्टॉक मार्केट में नौसिखियों के लिए टेक्निकल एनालिसिस का आधार

FAQ :

शेयर मार्केट को एनालाइज कैसे करें ?

इंडिकेटर प्राइस एक्शन मूमेंट का प्रयोग करके शेयर मार्केट का एनालाइज करते है।

शेयर मार्केट में चार्ट क्या होते हैं ?

शेअर मार्केट चार्ट से हम प्राइस एक्शन रेजिस्टेंस सपोर्ट डिमांड सप्लाई का पता चलता है।

शेअर मार्केट का टाइम्स क्या है ?

शेअर मार्केट का टाइम 9.15Amसे 3.30Pm होता है।

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