स्टॉक मार्केट में शेयर के प्राइस और ट्रेंड का पता लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के इंडिकेटर मौजूद है उन्हीं में से एक इंडिकेटर Stochastic Oscillator है जो मार्केट में ओवरबॉट और ओवरसॉल्ड का संकेत देता है,और ट्रेंडिंग कराने में मदद करता है। चलिए अब के Stochastic Oscillator बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं ।
![Stochastic Oscillator](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/nivesguru-5-1-1024x576.webp)
Stochastic Oscillator :
Stochastic Oscillator की रचना जॉर्ज लेन द्वारा 1950 ईस्वी में की गई थी। जिसका उपयोग सपोर्ट और रेसिस्टन्स के अनुसार और ओवरबॉट और ओवरसोल्ड बाज़ार की जाँच करने के लिए किया जाता है।
![Stochastic Oscillator](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/प्राइस-ट्रेंड-Price-Trend-13-1024x576.webp)
Stochastic Oscillatorरचना:
- .स्टॉकेस्टिक ओसिलेटर में दो लाईन है % के जो मुख्य लाईन है और दुसरी लाईन % डी है जो % के का मुविंग ऑवरेज होता है।
- % के लाईन सॉलिड लाईन और % डी डॉटेड लाइन होती है।
- यह 1 से 100 के दरम्यान घुमनेवाला सूचक है। जिसमें 20 और 80 के स्तर को अधिक महत्व होता है।
- खरीदी कब करनी चाहिए?
- जब % के की लाईन उसके ॲवरेज % डी लाईन के ऊपर जाती है तब खरीदी का संकेत मिलता है।
- जब यह ओसिलेटर किसी निश्चित बॉटम के स्तर पर से वापस घुमता है। जैसे कि 20 का स्तर तब खरीदी करनी चाहिए।
- बिक्री कब करनी चाहिए?
- उसी तरह से % के की लाईन उसके ॲवरेज % डी की लाईन के नीचे होती हैं तब बिक्री का संकेत मिलता है।
- जब यह ओसिलेटर किसी निश्चित टॉप के स्तर पर से वापस घुमता है। जैसे कि 80 का स्तर तब बिक्री कर सकते है।
ओवरबॉट और ओवरसोल्ड संकेत हासिल करना :
![Stochastics Oscillator](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/32-1024x576.webp)
- 20 के स्तर के नीचे बाज़ार ओवरसोल्ड और 80 के स्तर के ऊपर बाज़ार ओवरबॉट होता है।
- उसके बॉटम और टॉप के आकार का भी बहुत महत्व होता है।
- जब बॉटम बड़ा होता है तब मंदी वालों की पकड़ मजबूत है ऐसा माना जाता है और आने वाली तेजी कुछ कालावधी के लिए होगी ऐसा कहा जा सकता है।
- जब बॉटम छोटा होता है तब मंदीवालों की दुर्बलता का संकेत देती है और आने वाली तेजी मजबूत होगी ऐसा संकेत देता है।
![Oversold Stochastics](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/33-1024x576.webp)
- टॉप छोटा हो तो तेजीवालों की दुर्बलता दर्शाता है और आनेवाली मंदी दिर्घ कालावधी तक रहेगी ऐसा संकेत देता है और टॉप बड़ा हो तो तेजीवालों की मजबूती और आनेवाली मंदी कम कालावधी की होगी ऐसा संकेत देता है।
डायवर्जन्स का संकेत हासिल करना :
- स्टॉकेस्टिक और भाव के दरम्यान सकारात्मक और नकारात्मक डायवर्जन्स का निर्माण होते हुए दिखाई देता है। जिसका फायदा खरीदी और बिक्री के लिए किया जा सकता है।
- टॉप और बॉटम में तैयार होनेवाले आकार का महत्व :
- जब स्टॉकेस्टिक में छोटा टॉप तैयार होता है तब वह तेजी के खिलाड़ियों की दुर्बलता का संकेत देता है, जो ऐसा संकेत है कि आने वाली मंदी साधारण से भी अधिक समय की होगी।
- छोटा बॉटम मंदी के खिलाड़ियों की दुर्बलता का संकेत देता है। जो ऐसा दर्शाता है कि आने वाली तेजी सामान्य कालावधी से भी अधिक समय के लिए टिक सकती है।
- जब स्टॉकेस्टिक बड़ा टॉप बनाता है तब वह तेजी के खिलाड़ियों की ताकत दर्शाता है। उस पर से आपको संकेत मिलता है कि गिरावट की नहीं के बराबर की संभावना के साथ तेजी सामान्य से भी अधिक समय के लिए टिक सकती है।
- जब स्टॉकेस्टिक बड़ा बॉटम तैयार करता है तब वह मंदी के खिलाड़ियों की ताकत का अंदाजा देती है। तब आपको ऐसा संकेत मिलता है कि नहीं के प्रमाण में बढ़ोतरी के साथ मंदी आगे बढ़ती है।
ऑन बैलेंस वाल्यूम (On Balance Volume) :
शेअर्स में Volumeहै या डिस्ट्रीबशन यह जाना जाता है।
रेन्जिंग मार्केट :
अटके हुए बाज़ार में बढ़ता हुआ ओबीवी दर्शाता है कि निवेशकों का निवेश शेअर्स में बढ़ा हुआ है। उस शेअर्स में ऊपर की दिशा के ब्रेकआऊट की संभावना अधिक होती है।
ट्रेडिंग बाज़ार :
ट्रेडिंग बाज़ार में ओबीवी और भाव इनके बिच सकारात्मक डायवर्जन्स मार्केट बॉटम का संकेत देता है और उसी तरह से नकारात्मक डायवर्जन्स मार्केट टॉप का संकेत देता है।
![TRENDING MARKET](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/34-1024x576.webp)
एक्युमुलेशन /डिस्ट्रिब्यूशन (Accumulation/ Distribution) :
यह एक लिडिंग सूचक की तरह उपयोग में आता हैं।
ओ. बी. व्ही. का सुधारीत स्वरूप हैं। यह भी शेअर्स में अॅक्युम्युलेशन है या हिस्ट्रीब्युशन है इसका संकेत देता है।
एक्युमुलेशन /डिस्ट्रिब्यूशन उपयोग :
- Accumulation और डिस्ट्रीब्युशन सूचक भाव और व्हॉल्युम को साथ रखकर एक लिडिंग सूचक का तरह से काम करता है।
- चालू ट्रेन्ड में तेजी के या मंदी के खिलाड़ी कोई भी ट्रेन्ड आगे लेजाने में कितने समर्थ है इसकी जानकारी मिलती है।
- डायवर्जन्स के आधार पर ट्रेन्ड रिवर्सल का संकेत हासिल किया जा सकता है।
- ऐसा कहा जा सकता है कि यह ऑन बॅलेन्स व्हॉल्युम का सुधारीत स्वरूप है।
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खरीदी कब करनी चाहिए?
BULLISH डायवर्जन्स दिखाई देने पर खरीदी करनी चाहिए।
![Bullish Market Buy signal](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/35-1024x576.webp)
बिक्री कब करनी चाहिए?
Bearish डायवर्जन्स होता है तब बिक्री करनी चाहिए।
![Bearish market sell signal](https://nivesguru.com/wp-content/uploads/2022/11/36-1024x576.webp)
मूल बात :
नई ट्रेडिंग तकनीकें और विचार हर दिन विकसित होते रहते हैं। लेकिन किसी को यह समझने की जरूरत है कि वह कौन सी तकनीक और किन ट्रेडिंग इंडीकेटर्स के साथ सहज है और उसके अनुसार प्रयोग करते है। यदि ट्रेडर अपने जीवन में अनुशासन बनाए रखता है तो उसके पास असाधारण लाभ कमाने की संभावना है।